लेखिनी 15 पार्ट सीरीज प्रतियोगिता # सती बहू(भाग:-12)
गतांक से आगे:-
चंदा को पता नहीं क्यों एक अजीब सा अहसास हो रहा था उसे अपने अंदर से भीनी भीनी महक आ रही थी । शायद उसका अवचेतन मन जान चुका था कि सीप मे मोती आ चुका है।तभी चचिया सास ने उसकी कोठरी का दरवाजा खटखटाया
" आ जाओ चाची जी मैं जाग ही रही हूं।" चंदा सिर पर पल्लू लेकर पलंग पर उठकर बैठ गई।
चंदा की चचिया सास कोठरी के अंदर आई और चंदा के पलंग पर बैठकर उसे बड़े प्यार से निहारने लगी और सहसा उसे सीने से लगा लिया ।चंदा को ये तो पता था कि उसकी चचिया सास उसे बहुत प्यार करती है पर आज ऐसी क्या बात हो गई? जो ये उसकी कोठरी में आकर उसे सीने से लगा रही थी।
"क्या बात है चाचीजी?"
" बहूरिया अब तुझे क्या बताऊं भगवान के घर देर है अंधेर नहीं है हम जानते हैं तू श्याम को चाहने लगी है हमें कभी भी इस रिश्ते से ऐतराज नहीं था क्योंकि की विशम्बर की कमजोरी हम जानते थे पर भगवान ने तो दोनों हाथों से तुझ पर अपना आशीश लूटा दिया है।…..'तू मां बनने वाली हैं पगली ।जिस के लिए बरसों तड़पती रही वो सुख भगवान ने तेरी झोली में डाल दिया है। श्याम का बच्चा तेरी कोख में पल रहा है।"
चंदा तो जैसै बावली सी हो गई ।खुशी के आंसू उसकी
आंख से टपाटप बह रहे थे," क्या ये सच है चाची जी ….. मैं और मां……..ओह मेरे राम जी आपने मेरी सुन ली । चाचीजी…. चाचीजी अब मैं बांझ नहीं हूं।" यह कहकर चंदा पागलों की तरह नाचने लगी।
तभी चचिया सास ने उसे पकड़ कर पलंग पर बैठा दिया
"पगली है क्या ,अब तुझे अपने साथ साथ इस नन्ही सी जान का भी ख्याल रखना पड़ेगा। बहुत सहज सहज चलना समझी।"
"जी चाची जी"
ये कहकर चंदा भगवान की तस्वीर के आगे शीश झुकाकर बैठ गई शायद भगवान का लाखों बार धन्यवाद दे रही थी कि तूने एक औरत पर लगे कलंक को धो दिया जिसमे उसका कसूर था ही नहीं।
इन सब बातों में चंदा ये तो भूल ही गयी कि जब विशम्बर को इस बात का पता चलेगा तो वो क्या कहर बरपाये गा।
चंदा के चाचा ससुर ने श्याम तक ये खबर पहुंचा दी थी कि चंदा तुम्हारे बच्चे की मां बनने वाली हैं । श्याम पहली बस से चंदा से मिलने आ रहा था । ठाकुर ने तो बहुत मना किया कि श्याम तुम अभी गांव नहीं आओ। क्यों कि विशम्बर तक ये बात पहुंच गयी है कि चंदा तुम्हारे बच्चे की मां बनने वाली है वह तुम दोनों के खून का प्यासा घूम रहा है पर श्याम माना ही नहीं ।
इधर विशम्बर की नयी ब्याहता धन की लालची थी । विशम्बर की कमजोरी का पता तो उसे पहली रात को ही हो गया था बस वो वहां पर पैसा समेटने के लिए पड़ी थी । लेकिन जब पुल के टूटने के बाद विशम्बर दाने दाने को मोहताज हो गया तो कमली भी उसे लात मार कर जो घर में बचा खुचा गहना गुंठा था वो लेकर फरार हो गयी। क्यों कि उसे पता था कि अब विशम्बर में वो बात नहीं रही थी जो थोड़े दिनों पहले थी ।अब तो विशम्बर के गुर्गे भी एक एक करके उसे छोड़कर जाने लगे थे ।कहते हैं जहाज जब डूबता है तो सब से पहले उसके चूहे भागते हैं। लेकिन एक गुरगा मोती जो उसका वफादार था या यूं कहें कि वो उसकी जरूरत पूरी करता था वो ही अब उसके साथ था।
श्याम भोर की पहली बस से आ रहा था ताकि वह जल्दी से चंदा से मिलकर वापस शहर जा सके ।इधर चंदा भी उतावली हो रही थी श्याम से मिलने के लिए वह ये देखना चाहती थी कि श्याम को कैसा लगेगा जब वो उसे अपने बच्चे की मां के रूप में देखे गा।एक अलग ही सुकून होगा।
दोनों ने एक मिलने का स्थान निश्चित किया ठाकुर के खेतों में एक झोपड़ी बनी थी ।चंदा के चाचा ससुर खेत बंटाई पर तो देते नहीं थे सोई उधर इक्का दुक्का लोग ही जाते थे।उनको वो जगह मिलने की सबसे सही लगी।
अगले दिन चंदा निर्धारित समय पर घर से निकली उसे पता था कि भोर की बस जो शहर से आने वाली है वो कितने बजे आने वाली है ।चंदा दौड़ी चली जा रही थी ।वह जल्दी से श्याम का चेहरा देखना चाहती थी ।उन बातों को भी महीना भर हो गया था जब विशम्बर ने श्याम को अधमरा करके गांव के बाहर फिंकवा दिया था।
पर उस प्रेम बावरी को ये पता ही नहीं था कि मौत उसके पीछे लग गई है । विशम्बर का चमचा मोती बाज की तरह नजरें गड़ाए रहता था घर पर कब चंदा घर से बाहर निकले और कब वह उसका काम तमाम करके अपने मालिक की होने वाली फजीहत को सिरे से खत्म करना चाहता था।जैसे ही श्याम बस से उतरा चंदा दौड़कर श्याम के गले लग गई।मोती वहीं रुक गया और सोचने लगा अच्छा है एक तीर से दो निशाने लग जाएं गे।उसने देखा श्याम और चंदा उसे खेत वाली कोठरी में चले गये थे ।वह एक भयंकर मंशा लेकर गांव की ओर जल्दी जल्दी क़दम बढ़ाने लगा।
क्या मोती चंदा और श्याम को मार देगा ?
आगे कहानी क्या करवट लेंगी ये जानने के लिए अगले भाग का इंतजार…..
(क्रमशः)
HARSHADA GOSAVI
15-Aug-2023 12:56 PM
Nice
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hema mohril
01-Jul-2023 06:48 PM
Nice
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वानी
17-Jun-2023 09:56 AM
Nice
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